Wednesday, June 19, 2019

राष्ट्र एक चुनाव एक ….पर छिड़ी राजनीति



राजनैतिक पार्टियों में अलग थलग दिख रहे मत….

दिल्ली। मोदी सरकार के द्वारा लाई गई योजना हर बार कुछ नया लेकर आती है। फिर वो चाहे जनता के हक में या राजनैतिक पार्टियों के लिए मगर वन नेंशन वन इलेक्शन की बात पर एक बार फिर से राजनैतिक गलियारों में आपसी सुगबुगाहट देखने को मिल रही है। आज लोकसभा में मोदी सरकार ने सभी पार्टियों के अध्यक्षों की बैठक बुलाई जिसमें एक राष्ट्र एक चुनाव के विचार को आगे बढ़ाने के साथ साथ 2022 में आजादी के 75वें वर्ष के जश्न महात्मा गांधी के इस साल 150वें जयंती वर्ष को मनाने समेत कई मामलों पर चर्चा की जाएगी.
लेकिन मोदी सरकार की इस बात को सुनते ही राजनैतिक के अलग अलग दलों में सियासत की गर्म बयार छिड़ चुकी है। जहां एक तरफ कुछ राजनैतिक दल मोदी सरकार की इस बात का समर्थन करते दिख रहे तो वही ममता माया और अखिलेश यादव की पार्टियां इस बात को संविधान विरोधी मान रही है।
बता दें मोदी सरकार ने सभी राजनैतिक दलों को मीटिंग में आने का आवाहन किया लेकिन इस मीटिंग के विरोध का शुर सबसे पहले पश्चिम बंगाल से मुखर हुआ ममता बनर्जी ने इस बैठक में शामिल होने से सिरे इंकार कर दिया। ममता बनर्जी का बैठक का विरोध करते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो बड़े दल भी इस बैठक में शामिल होने इंकार की चाभी भरने लगे…सबसे पहले मायावती उसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस बैठक में आने की उल्टी दिशा में कदम बढ़ाने लगे।
जहां एक तरफ राजनैतिक दलो के ये तीन चहरे बैठक के दूसरे छोर पर खड़े दिख रहे है वही दूसरी ओर अन्य राजनैतिक दल इस बैठक में शामिल होने के साथ साथ वन नेंशन वन इलेक्शन की इस बात देशहित में बताते नजर आ रहे।
बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे का कहना है, ‘पीएम मोदी मानते हैं कि वन नेशन, वन  इलेक्शन के विचार को बीजेपी या मोदी के एजेंडा के तौर पर नहीं देखना चाहिए. ये देश का एजेंडा होना चाहिए. ‘
नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. बीजेडी सांसद पिनाकी मिसरा ने एनडीटीवी से कहा, ‘कई साल से इस प्रस्ताव का विरोध कर रही कांग्रेस इस बैठक से पहले अपने पत्ते नहीं खोल रही है.’ वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफज़ल ने कहा कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव के सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर कोई फैसला करेगी. उन्होंने कहा कि अभी कहना मुश्किल है कि पीएम की बैठक में इसके पक्ष में रहेंगे या विपक्ष में.
लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने कहा कि वो निजी तौर पर इसका समर्थन करते हैं. रवनीत बिट्टू, सांसद, कांग्रेस ने एनडीटीवी से कहा, ‘मेरी निजी राय है कि ये बहुत जरूरी है. वन नेशन, वन इलेक्शन होना चाहिए. अभी लगातार चुनाव की वजह से एक राज्य में पांच साल में से करीब 1 साल तो आचार संहिता ही लगी रहती है. लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाया और पंचायत चुनाव की वजह से’
दूसरी ओर इस मुद्दे पर लेफ्ट, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और टीआरएस ने सवाल खड़े कर दिये हैं. तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी का कहना है कि इस सोच को लागू करना संभव नहीं है. संविधान इसकी इजाज़त नहीं देता है.  वहीं समाजवादी पार्टी से सांसद जावेद इस प्रस्ताव को व्यवहारिक नहीं मानते हुए कहते हैं कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ है. सीपीआई के नेता डी राजा कहते हैं कि वे इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं. मौजूदा संविधान में इसे लागू करना संभव नहीं होगा. तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता नामा नागेश्वर राव ने कहा “ये प्रस्ताव अच्छा है लेकिन इसे लागू करना कितना व्यवहारिक होगा ये देखना होगा. राज्यों की इस पर अलग-अलग राय है”.

No comments:

Post a Comment