Monday, June 17, 2019

कभी करते थे साईकिल की दुकान में काम, और आज हैं बीजेपी के सांसद

पंक्चर बनाने से लेकर राजनीति तक का सफर, डॉक्टर वीरेंद्र कभी करते थे साईकिल की दुकान में काम

दिल्ली: 17वीं लोकसभा के लिए भाजपा सांसद डॉक्टर वीरेंद्र कुमार को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। वह नवनिर्वाचित सांसदों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। आज उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सांसद के रूप में लोकसभा सदस्य पद की शपथ दिलाई।Noida News
वह सात बार सांसद बन चुके हैं। वह चार बार टीकमगढ़ लोकसभा और तीन बार सागर सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वर्तमान में वह टीकमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अहिरवार किरण को करीब 3.48 लाख वोटों से हराया है।Noida News

जानिए डॉक्टर वीरेंद्र कुमार के बारे में….

वीरेंद्र कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के सागर शहर में 27 फरवरी 1954 को हुआ था। पहली बार 1996 में सागर संसदीय सीट से वह सांसद चुने गए थे। उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए और बाल श्रम संबंधी विषय पर पीएचडी की है। वह कई सालों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय कार्यकर्ता और पदाधिकारी रहे हैं। इसके अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद सहित भाजपा में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें मंत्रिनमंडल में शामिल किया गया था।Noida Newsकभी करते थे साईकिल की दुकान में काम, और आज हैं बीजेपी के सांसद
वीरेंद्र कुमार बचपन में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अपने पिता के साथ साइकिल की दुकान पर बैठते थे। इसके साथ ही वह पढ़ाई भी करते रहते थे। ऐसा कहा जाता है कि अपने संसतदीय क्षेत्र के दौरे के दौरान जब उन्हें कोई पंक्चर सुधारता हुआ मिलता है तो वह उसके पास पहुंच जाते हैं। कई बार उनकी मदद कर देते हैं तो कभी पंक्चर सुधारने के टिप्स भी दे देते हैं।Noida News
प्रोटेम स्पीकर उन्हें कहा जाता है, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो कामचलाऊ और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर होते हैं। लोकसभा अथवा विधानसभाओं में इनका चुनाव बेहद कम समय के लिए होता है।Noida News
सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के ठीक बाद अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले अस्थायी तौर पर वे सदन के संचालन से संबंधित दायित्वों का निर्वहन करते हैं। प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें।Noida News
हालांकि लोकसभा अथवा विधानसभाओं में प्रोटेम स्पीकर की जरूरत तब भी पड़ती है, जब सदन में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों का पद खाली हो जाता है। यह स्थिति तब पैदा हो सकती है, जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों की मृत्यु हो जाए अथवा वे अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दें।
संविधान में, हालांकि प्रोटेम स्पीकर की शक्तियां स्पष्ट तौर पर Noida Newsनहीं बताई गई हैं, लेकिन यह तय है कि उनके पास स्थायी अध्यक्ष की तरह शक्तियां नहीं होती हैं।Noida News

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